विधिक दृष्टि : सूचना का अधिकार अर्थात RTI Act 2005

इस देश में लोकतंत्र (Democracy) को बचाए रखने के लिए वक्त वक्त पर कानून बनाए और बदले जाते रहते हैं. सूचना का अधिकार भी इसी तरह का एक कानून है, जिससे देश का लोकतंत्र (Deomocracy) मजबूत होता है और प्रशासन के कामो में आम लोगो की हिस्सेदारी बढती है. इस कानून के आने के बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कानून की मदद से लोगों की मदद करने की कोशिश की और की करते आ रहे है जिन्हें हम ‘आरटीआई एक्टिविस्ट’ (RTI Activist ) के नाम से जानते है . इस आर्टिकल में हम इस कानून से जुड़े हुए जरुरी बातों को देखेंगे.

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 क्या है (What is Right to Information Act 2005 in hindi)

यह एक ख़ास तरह का कानून है, जिसको साल 2005 में लाया गया था. इस कानून को लाने का सबसे बड़ा मकसद लोगों को सरकार से सवाल करने का हक़ देना था. इस कानून की मदद से कोई भी आम आदमी किसी भी सरकारी ऑफिस में अपना आरटीआई दाखिल करा कर किसी भी तरह की जानकारी हासिल कर सकता है. सरकार से सवाल पूछने का हक़ देश के हर नागरिक को है.

सूचना का अधिकार महत्वपूर्ण क्यों (Why Right to Information Act is Important)

यह कानून भ्रष्टाचार को रोकने का एक बहुत बड़ा रास्ता साबित हो सकता है. इसके इस्तेमाल से कोई भी आदमी सरकारी दफ्तरों से तरह तरह की जानकारी प्राप्त कर सकता है. इस कानून के अंदर लगभग सभी संवैधानिक पद आते है, जिसकी जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती है. इस कानून का इस्तेमाल करके कोई भी भारतीय व्यक्ति किसी भी सरकारी दफ्तर से जानकारी के लिए अपनी अर्जी दे सकता है, जिसका जवाब उस सरकारी दफ्तर को महज 30 दिनों के अन्दर देना होता है जवाब न मिलने पर आप उच्च स्तर के अधिकरियो को अपील भी कर सकते है सकते है .

सूचना का अधिकार से लाभ (Right to Information Act Benefits)

इससे आम लोगों को कई तरह से लाभ प्राप्त होते है और इससे से सिस्टम में ट्रांस्प्रंसी आती है . यहाँ पर इसके कुछ विशेष लाभों का वर्णन किया जा रहा है.

  • यह आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और नागरिकों को सशक्त करता है.
  • इस कानून का सदुपयोग करके सरकारी संस्थानों से कई तरह के तथ्य सम्बंधित जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती हैं. इसके अलावा कोई व्यक्ति इस कानून के अधीन राय नहीं मांग सकता है.
  • इस योजना के अधीन व्यक्ति वह सभी जानकारियाँ प्राप्त कर सकता है, जो उसकी निजी ज़िन्दगी से जुड़ी है, जैसे पासपोर्ट, प्रोविडेंट एंड फण्ड सम्बंधित जानकारी, टैक्स रिफंड सम्बंधित जानकारी, पेंशन सम्बंधित जानकारी इत्यादि.
  • इस कानून का प्रयोग करके लोग भ्रष्टाचार की शिकायत, बिजली पानी सम्बन्धी समस्या, सडकों की मरम्मत के फंड आदि सम्बंधित जानकारियाँ प्राप्त कर सकता है.

सूचना का अधिकार के प्रयोग के मुख्य कारण (Right to Information Main Reasons)

तीन ऐसे मुख्य वजहें हैं, जिसके अंतर्गत इसका प्रयोग किया जाता है. यहाँ पर इन तीनों मुख्य कारणों का वर्णन किया जा रहा है.

  • जब किसी सरकारी सेवा में देर हो : अक्सर सरकारी सेवायें आम लोगों तक पहुँचने में काफ़ी समय लगता है. अक्सर इस देर की मुख्य वजह कर्मचारियों द्वारा किया गया भ्रष्टाचार होता है. उदाहरण के तौर पर आपको आपके पासपोर्ट को रिन्यु कराने में परेशानी हो रही है, अथवा आपके मौहल्ले में ट्रैफिक काम नहीं कर रहा हो, तो आप इस कानून का प्रयोग करके अपने काम कर सकते हैं.
  • संस्थानों की निष्क्रियता पर : आप किसी सरकारी संस्थान की निष्क्रियता पर भी इस कानून के सहारे सवाल उठा सकते है. ध्यान दें कि इस कानून के तहत आप किसी संस्था से उसके डॉक्यूमेंट की कॉपी प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी सहायता से संस्थान का भ्रष्टाचार सामने आएगा.
  • अन्य विशेष जानकारियाँ : इसका प्रयोग करके आप ऐसे तथ्य भी प्राप्त कर सकते हैं, जो अदालत में दलील के तौर पर काम कर सकता है. किसी घटना में कितने लोगों की मृत्यु हुई अथवा किसी सरकारी कार्यक्रम में कितना खर्च हुआ, ये सब यहाँ से जाना जा सकता है.    

सूचना का अधिकार सम्बंधित आवश्यक नियम (Right to Information Rules)

इसके अंतर्गत आवेदन जमा करने से पहले कुछ विशेष बातों को ध्यान रखना आवश्यक है. यहाँ पर इस आवेदन से सम्बंधित बातें बताई जा रही है.

  • एक भारतीय नागरिक इसके अंतर्गत अपना आवेदन जमा कर सकता है. यदि आप भारतीय नागरिक हैं, तो इसका प्रयोग करके किसी भी सरकारी दफ्तर से आवश्यक जानकारियाँ हासिल कर सकते हैं.
  • सूचना का अधिकार 2005 के अंतर्गत आप किसी भी पब्लिक अथॉरिटी से सूचना प्राप्त कर सकते हैं. पब्लिक अथॉरिटी के अंतर्गत सभी केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय संस्थान आते हैं, जिनकी स्थापना संविधान के अंतर्गत हुई है. जो संस्थान केंद्र और राज्य के सम्मेलन से चलती हैं, वहाँ भी आवेदन दिया जा सकता है.
  • इस अधिनियम से कई संस्थानों को अलग रखा गया है. सूचना का अधिकार के सेक्शन 24(1) के अंतर्गत सिक्यूरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसी को इससे बाहर रखा गया है.
  • इस आवेदान में आवेदक को एकदम सटीक सरकारी संस्था का नाम जमा करना पड़ता है, जहाँ से आवेदक को जानकारियाँ हासिल करनी हों. यह आवेदक का काम है, कि वह पता लगाए कि कहाँ पर आवेदन जमा करने से आपको जल्द से जल्द आवेदन प्राप्त होगा.
  • अपने आवेदन के साथ आवेदक को आवेदन का शुल्क भी भेजना होता है. किसी भी व्यक्ति के लिए यह राशि केवल 10 रूपए की होती है. यदि आवेदक गरीबी रेखा से नीचे का हो तो यह शुल्क भी नही लगता है. हालाँकि गरीबी रेखा के नीचे के आवेदक को अपने आवेदन के साथ अपनी जाति प्रमाणपत्र देने की आवश्यकता होती है.
  • इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि विभिन्न राज्यों में यह शुल्क भिन्न है. कई राज्यों में यह शुल्क 8 रुपए से 100 रूपए के बीच का होता है.
  • इसके अंतर्गत आवेदक को 30 दिनों के अन्दर परिणाम प्राप्त हो जाता है. हालाँकि यदि अतिआवश्यक डॉक्यूमेंट हों, तो 48 घंटे के भीतर भी परिणाम प्राप्त किया जा सकता है.
  • कई कारणों से इसका आवेदन रिजेक्ट भी हो जाता है. यदि आवेदक ने अपने आवेदन में बातें सही से न भरी हों अथवा किसी तरह की डिटेल अधूरी हो, तो आवेदन रिजेक्ट किये जा सकते हैं. यदि आवेदन राशि गलत दी गयी तो भी यह आवेदन रिजेक्ट हो सकता है.

सूचना का अधिकार के अंतर्गत आवेदन कैसे दें (How to Apply for Right to Information Act)

इसके अंतर्गत आवेदन देने एवं सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदक निम्न प्रक्रिया अपना सकता है.

  • आप इसके अंतर्गत आवेदन देने के लिए अपने हाथों से आवेदन लिख सकते हैं. इसके लिए कई ऑनलाइन सैंपल भी प्राप्त हो जाते हैं, जिसकी सहायता से आवेदन लिखा जा सकता है.
  • यदि आपको आवेदन लिखने में परेशानी होती है, तो आप सूचना अधिकारी की मदद भी प्राप्त कर सकते हैं.
  • केंद्र सरकार की तरफ से इसके लिए आवेदन फॉर्म ऑनलाइन डाल दिया गया है, जिसे आप इस वेबसाइट https://rtionline.gov.in/request/request.php से प्राप्त कर सकते हैं. इसकी सहायता से घर बैठे ऑनलाइन शुल्क जमा करके आवेदन जमा किया जा सकता हैं.
  • यदि आप एक प्रवासी भारतीय हैं तो भी अपना आवेदन ई- पोस्टल आर्डर की सहायता से इंडियन मिशंस में जमा करा सकते हैं.